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01- 07- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 17



तबरेज ने अपने घर  वालो को तो समझा  दिया था  और जिस तरह उन लोगो ने उसकी बात सुनी उसके भाई ने उसका साथ दिया ये सब  देख  उसे अंदर ही अंदर बेहद ख़ुशी हो रही थी । कि आज  इस मुश्किल घड़ी में उसका परिवार  उसके साथ था  वो चेन कि नींद  सो सकता है ।

लेकिन जैसे ही वो बिस्तर पर लेता तब ही उसकी नींद  कही छू हो गयी काफी देर करवटे बदलने के बाद आखिर कार वो उठ कर बैठ गया और ऊपर छत  कि और चला  गया  और चहल कदमी करने लगा ।


उसे जो चिंता  सता रही थी वो थी  अनुज से किए गए वादे कि, कि आखिर कार वो इतनी बड़ी रकम  आखिर  कहा से लाकर देगा उसने वायदा तो कर दिया था  लेकिन उस वायदे का पास कैसे रखेगा  यही सोच सोच कर उसकी नींद  कही उड़ सी गयी  थी ।


उसने आसमान कि तरफ देखा  और कहा " ए खुदा  तू तो सब का हाल -ए -दिल जानने वाला है , तू ही है  जो मुझे इस परेशानी से निजात दे सकता है , मुझे  उस बच्चें से किए वायदे को पूरा करने कि हिम्मत दे और कुछ  ऐसा करिश्मा दिखा  की मैं उस के लिए पैसो का बंदोबस्त कर सकूँ "


इस तरह अपनी बात अपने रब के सामने रख कर उसे सुकून  मिला और वो पुर उम्मीद हो कर नीचे आकर  बिस्तर पर लेट गया  आँख बंद करके और कुछ ही देर बाद उसकी आँख लग गयी । और जब  खुली जब  उसके कानो में करीब की मस्जिद से आ रही अज़ान की आवाज़ पड़ी और वो अपने बिस्तर से उठ पड़ा ।


थोड़ी देर बाद सूरज भी निकल आया ।तबरेज और आसिफ  दुकान पर आ गए ।


वही दूसरी तरफ साद का रास्ता साफ हो चुका  था । उसने अपने उन दोस्तों को फ़ोन किया और दुकान पर आने का कहा अब समी भी उसका साथ दे रहा था  क्यूंकि उसे बाहर जो जाना था  और बाहर जाने के लिए पैसो की ज़रूरत थी ।


हुसैन साहब थोड़ा उदास थे कल वाले हादसे को लेकर और चिंतित भी थे की अब दुकान को कौन संभालेगा अगर जल्दी कोई काम वाला नही मिला तो सारे पुराने ग्राहक टूट जाएंगे।


रुकय्या उनके पास खड़ी थी वो उनकी चिंता को समझ रही थी उसे डर था कि कही उनका गुस्सा ठंडा  हो गया  और वो तबरेज़ को दोबारा ले आये तो सारे किए कराये पर पानी फिर जाएगा। इसलिए वो उनसे बोली " सुनिए आप  बहुत परेशान लग रहे है  और होना भी चाहिए आखिर कार आपका भांजा था  वो, आपका  अपना होकर उसने इतने बड़ा  छल किया आपके साथ ।
रुकय्या और कुछ कहती तब ही हुसैन साहब बोले " मुझे लगता है शायद  मुझसे  ही कुछ भूल हो गयी होगी मुझे अभी भी यकीन नही आ रहा है  की तबरेज़ ऐसा कर सकता है  उसने उस लड़के का साथ दिया जिसने पैसे चुराए "


"आप  चिंता मत कीजिये वो दोनों बहुत समय से आपकी गैर मौजूदगी का फायदा उठा रहे थे । वो तो चाहते  नही थे की साद दुकान पर जाए लेकिन एक ना एक दिन सबके पापो का घड़ा भर जाता है  वो तो शुक्र है  कि वक़्त रहते आपकी आँखों के सामने सच्चाई आ गयी  जिन बच्चों को आपने अपने बच्चों कि तरह पाला वही  आपको नुकसान पंहुचा रहे थे ।


अपनी बहन को देखो अब तो उसे भी सच्चाई पता चल गयी होगी, अगर सच्ची होती तो आपके पास जरूर आती देखो अपने बेटे कि करतूत सुन कर आयी नही किस मुँह से आएगी  जिस बेटे कि तारीफ  करते करते उसका मुँह नही दुखता था  आज  कैसे कहेगी कि उसका बेटा अपने मामू कि ही दुकान में डाका डाल रहा था  " रुकय्या ने कहा


"अब छोड़  भी दो पुरानी बातों को अब मुझे इस बात की चिंता है  की आखिर दुकान पर कौन काम करेगा  इस दिन के लिए डरता था  और कहता था तुम्हारे बेटों से की काम सीख  ले, तो आज  गेरो के सहारे नही बैठना पड़ता" हुसैन साहब ने कहा


"आप  परेशान ना हो, मेरे बेटे मालिक है  उस दुकान के भला  वो क्यू अपने हाथ काले करेंगे । उन्होंने आप से पहले ही कुछ  लड़को को दुकान पर बुलाया है  काम करने के लिए  अब बस आप घर पर रहिये और देखिये मेरे बेटे कितनी ईमानदारी और मेहनत  से पैसे कमा कर आपको लाकर देते है  " रुकय्या ने कहा


"मुझसे पूछे बिना ही उन्होंने लड़को को दुकान पर रख  लिया एक बार मुझे मिलवा तो दिया होता, मैं उनसे पूछ  तो लेता की आखिर  किस तरह का काम वो कर सकते है  और क्या क्या जानते है  वो इस काम के बारे में, कस्टमर को हैंडल भी कर सकते है  या नही कही उनका रावय्या रुड  तो नही है  उनके बोलने का लेहज़ा अच्छा है  या नही तबरेज़ जैसा " हुसैन साहब ने कहा


"आप  फिकर मत कीजिये मेरे बेटे भी रोटी खाते है  घास  नही उन्होंने देख  परख कर ही रखा होगा और सर आपके भांजे का ही लहजा  अच्छा नही पूरी  दुनियां में और वैसे भी  इस तरह अच्छा लहजा  रखने वाले लोग अंदर से चोर निकलते है  अब अपने भांजे को ही देख लो" रुकय्या ने गुस्से में कहा


"ठीक  है  ठीक है , जो करना है  करो  अपने बेटों से कहना  लेकिन उनसे कहना  कोई गलत काम मत करना  जिसकी भरपाई करना मुश्किल हो जाए हम सब के लिए  क्यूंकि मैं अब बूढा  हो रहा हूँ " हुसैन साहब ने कहा

"वो आपके भी बेटे है  सिर्फ मेरे नही है , और रही बात किसी गलत काम अंजाम देने की तो आप  भूल रहे  है  उनकी परवरिश मेने की है  रुकय्या बी ने, इससे पहले वो कुछ गलत काम करे उससे पहले आप  मेरा सर तन से जुदा कर देना मैं उफ्फ तक नही करूंगी  चले अब चाय  पीकर  आराम  कीजिये और थोड़ी देर बाद दवा  भी लेना है  " रुकय्या ने कहा


हुसैन साहब खामोश  थे  उनके पास इस बात का कोई जवाब नही था  सिर्फ अपने बेटों के लिए दुआ करने के अलावा।



दुकान पर साद और समी  बैठे थै। तब ही उसके वो दोस्त आ  गए । उन सब  ने साद को बधाई दी और कहा " मुबारक हो अब तो हमारा रास्ता साफ हो चुका है  अब तुम देखना  हम लोग कितनी मेहनत से काम करते है  और इस दुकान से कितना पैसा कमा कर तुम्हे देते है लेकिन याद रखना  ये बात किसी को पता ना चले और हो सके तो अपने पुराने ग्राहकों को भी ज्यादा मत बुलाना दुकान पर बेवजह शक करेंगे हम लोगो पर "


साद और समी उनकी बातों में आ गए । साद ने गल्ले से पैसे निकाले और एक बंदे को देकर बोला सिगरेट की डिब्बी लाओ और सब  के लिए चाय।


"क्या साद बच्चों की तरह चाय  पी  रहा है , मर्द बन  कुछ अच्छा मंगा पीने को" वहा  खड़े एक लड़के ने कहा

"क्या मतलब तुम्हारा चाय  क्या बच्चें पीते है  " समी ने कहा

"अरे अरे भाई मेरा वो मतलब  नही था  मेरा मतलब  है  की हम लोग अब बालिग़ हो चुके है  तो कुछ  सोडा वगेरा  या फिर बियर वगेरा मँगाओ अपनी जीत का जश्न मनाते है  क्या बच्चों की तरह टपरी की चाय पीकर जश्न मनाये " उस लड़के ने कहा


"यार बात तो सही है तेरी, लेकिन ये हम सब की रोज़ी रोटी नही है  क्या, क्या यहाँ बैठ कर सोडा और बियर पीना  अच्छी बात होगी क्या इससे बरकत खत्म नही हो जाएगी और तुम लोग क्या कहते हो लक्ष्मी नाराज़ नही हो जाएगी ऐसा करने से " साद ने अपने एक दोस्त आकाश की तरफ देख कर कहा 


"अरे भाई  तू भी कहा दख्या नूसी बातों में आ रहा है , क्या शराब के ठेके पर तूने देखा है  कभी पैसे की तंगी होते हुए वहा तो हमेशा ग्राहकों की लम्बी लाइन लगी रहती है  चल  अब पैसे दे मुझे ताकि मैं जाकर हलक गीला करने का समान लेकर आऊ  " आकाश ने कहा


"चल भाई अब दे भी दे पैसे निकाल कर आकाश सही कह रहा है आज  हम पी  तो पीकर देखे की आखिर इस सोड़े और बियर में ऐसा क्या होता है  जो सब लोग इसके इतने दीवाने होते है  " समी ने कहा


"ठीक  है  लेकिन ये पहली और आखिरी बार होगा अगर अब्बू को पता चल गया तो तुम लोगो के साथ साथ हमें भी निकाल दिया जाएगा यहाँ से, अब्बू के लिए ये दुकान हम से भी बढकर है  " साद ने कहा और गल्ले से पैसे निकाल कर दे दिए आकाश को। थोड़ी देर बाद उन लोगो ने सिगरेट, सोडा और बियर का आंनद लिया जिसका स्वाद पहले तो साद और समी को बुरा लगा  लेकिन बाद में अच्छा लगने लगा ।


उस दिन दुकान पर एक दो ग्राहक आये जिन्हे साद और वहा  काम करने वालो का रावय्या अच्छा नही लगा  और वो चले गए उन्होंने छोटे मोटे काम के भी ज्यादा पैसे एठ लिए लोगो से।


दो दिन गुज़र गए थे , तबरेज़ ने हिचकिचाते हुए अपने भाई आसिफ  से कहा " आसिफ  क्या तुम्हारे पास बीस हज़ार रूपये है , मुझे थोड़ी ज़रुरत है  किसी को देना है  "


आसिफ  ने ये सुन कहा " भाई  मेरे पास तो नही है  लेकिन मैं आपके लिए बंदोबस्त करा सकता हूँ मेरा एक दोस्त है , मैं उससे बात करता हूँ वो मुझे कभी मना नही करेगा  ये कह  कर उसने अपने दोस्त को फ़ोन लगाया ।


उसे जैसी उम्मीद थी अपने दोस्त से वो वैसा ही निकला उसने उसे शाम को पैसे देने का वायदा कर दिया तबरेज़ ने ये बात सुनी तो उसके चेहरे पर हलकी सी ख़ुशी झलकी। उसकी एक परेशानी तो हल हो चुकी थी  बस अब काम की चिंता थी उसे, लेकिन उसे उम्मीद थी की कही ना कही उसे काम मिल ही जाएगा।



दूसरी तरफ ज़ोया और हम्माद की मोहब्बत परवान चढ़ रही थी । जब से उसका पेपर खत्म हुआ था तब  से जोया सिर्फ मोबाइल में ही लगी रहती दिन रात बस हम्माद से ही बातें करती कॉलेज की छुट्टियां चल रही थी ।

हम्माद ने उसे पूरी तरह बोतल में उतार लिया था , ज़ोया उस पर पैसे खर्चा करती। हम्माद आलसी बन चुका था  गली के लड़को के साथ अवारा गर्दी करने के अलावा उसका कोई और काम धंधा  नही था । अशफ़ाक़ साहब उसे ना जाने क्या क्या कहते जिसे ज़ोया सुन कर उदास हो जाती, हम्माद को समझाती लेकिन हम्माद उसे पट्टीया पढ़ा देता और वो उसके प्यार में इस कद्र अंधी हो चुकी थी की उसे दिखता ही नही था की उसके साथ उसकी ज़िन्दगी तबह -ओ - बर्बाद हो जाएगी।


ज़ोया अपने कमरे में बैठी थी शाम का समय था  तब  ही दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती है , ज़ोया घबराते हुए दरवाज़े की और दौड़ती और दरवाज़ा  खोलती है । और खुश हो जाती है  आखिर कौन था दरवाज़े पर जिसे देख ज़ोया खुश हो जाती है । जानने के लिए पढ़ते रहिये हर सोमवार 


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10 Comments

shweta soni

01-Aug-2022 11:18 PM

बहुत अच्छी रचना 👌👌

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Gunjan Kamal

01-Aug-2022 06:09 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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Raziya bano

01-Aug-2022 05:40 PM

Nice

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